जब विन्ध्यवासिनी ने कोई जवाब ना दिया तो सत्यकाम ने फिर से पूछा.... पानी पिओगी बिन्दू! लाऊँ तुम्हारे लिए गिलास भरकर।। नहीं! अभी मुझे प्यास नहीं है सत्या! विन्ध्यवासिनी बोली।। चलो ! अभी तक तुम्हें मेरा नाम तो याद है ,सत्यकाम बोला।। तुम्हारा नाम भला कैसें भूल सकती हूँ कभी? विन्ध्यवासिनी बोली।। मुझे मुरारी ने सब बता दिया है, सत्यकाम बोला।। क्या बता दिया है? विन्ध्वासिनी ने पूछा।। तुम्हारे बारें में,सत्यकाम बोला।। तो अब तुम तो मुझे गलत समझ रहे होगे,विन्ध्यवासिनी बोली।। नहीं!अब भी तुम मेरे लिए वैसी ही पवित्र हो जैसी की तुम पहले थी,सत्यकाम बोला।। मैं एक तवायफ़