अय्याश--भाग(२)

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पंडित भरतभूषण चतुर्वेदी की बेगुनाही साबित हो चुकी थी और उनके गाँव से चले जाने पर सभी गाँव वालों को पश्चाताप हो रहा था,लेकिन अब कोई फायदा नहीं था,चतुर्वेदी जी जब अपने आप को बेगुनाह बता रहे थे तो उनकी किसी ने नहीं सुनी.... ये खबर पाकर वैजयन्ती के मायके से उनके बड़े भाई दीनानाथ त्रिवेदी उन सबको अपने गाँव लिवा जाने के लिए जा पहुँचे,वैजयन्ती ने बहुत मना किया कि वो अपने पति का घर छोड़कर कहीं नहीं जाएगी,हो सकता है कि किसी दिन वें लौंट आएं,तब दीनानाथ वैजयन्ती की बात सुनकर बोले.... वैजयन्ती! पड़ोस में बता दो कि