नवीन दत्ता अपने दोस्त और मातहत काम करने वाले शान्ति दास के साथ बस से शाहदरा पहुंचा । दोनों गली तेलियान मे पहुंचकर कमल सरीन का मकान ढूंढने लगे । ये बेहद संकरी सी गली थी और हर दूसरे तीसरे घर मे दुकान खुली थी । दुकानदारों ने जहां तहां एन्क्रोचमेंट कर रखी थी । गली के अन्दर कुछ दूर सरीन का मकान मिल गया । ये मकान गली के दूसरे मकानों से कुछ बड़ा था । देखते ही पता चलता था कि रहने वाले सम्पन्न हैं । निर्माण और सजावट पर काफी पैसा लगाया गया था । लकड़ी के