गुनहगार (अंतिम भाग)

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एक दिन राजेन्द्र प्रतिभा से बोला,"आज शाम को चौपाटी चलते है?""चलो,"और राजेंद्र,प्रतिभा के साथ चौपाटी घूमने के लिए गया था।यहां वह माया के साथ भी आ चुका था।लेकिन पहली बार प्रतिभा के साथ आकर वह बेहद रोमांचित महसूस कर रहा था।वे दोनों जुहू पर समुंदर के किनारे एक चट्टान पर बैठ गए थे।समुद्र में लहरे उठ रही थी।जो किनारे से टकराकर वापस लौट जाती थी।प्रतिभा उठती हुई लहरों को ध्यान से देख रही थी।राजेन्द्र का ध्यान प्रतिभा की सुंदरता पर था।जुहू पर हर उम्र हर वर्ग के लोग थे।सब अपने अपने मे मस्त।पहले राजेन्द्र,माया का बहुत खयाल रखता था।ऑफिस से