टेढी पगडंडियाँ 46 गुरनैब आज बहुत खुश था । इतना ज्यादा खुश कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि इस खुशी को व्यक्त करने के लिए क्या करे । नाचे या गाये । उसने किरण को गोद में उठा लिया । और उसे उठाये उठाये पूरी कोठी के दो तीन चक्कर लगा लिए । किरण चिल्ला रही थी – अरे, उतारो । उतारो नीचे । मैं गिर जाऊँगी । चोट लग जाएगी । छोङ दो प्लीस । छोङो न । छोङ भी दो । गुरनैब ने उसे पलंग पर गिरा दिया और बेतहाशा चूमने लगा । किरण ने