यासमीन - भाग 9

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उधर मुम्बई शहर में हालात बहुत गम्भीर हो गए थे रस्मन जिस फैक्टरी में रहकर कार्य करते थे उस फैक्ट्री में आग लग गई सब तरफ हाय-तौबा मच गया धुआँ इतना तेज और कालिख लिए था कि आंखे फूट जाए । रस्मन औ उनके कुछ साथियों की बदनसीबी थी कि वे आग की लपटों में फंस गए । एक कर्मचारी बोला ...." भाई जान आखिरी समय अपने बीवी बच्चों को याद कर लो पता नहीं हम जिंदा बचेंगे या नहीं ! और उस व्यक्ति के आंखों में मौत आंसू बनकर टपक रही थी। साफ साफ उम्मीद का दामन छूटने लगा था