अंततः माया मर गयी।उसकी लाश दो दिन तक अस्पताल में लावारिस पड़ी रही। लेकिन उसे लेने के लिए कोई नही आया।आखिर अस्पताल वालों को ही उसके क्रियाकर्म की व्यस्था करनी पड़ी।माया अनाथ नही थी।उसके माता पिता,पति और बच्चे भी थे।फिर भी आ अंतिम समय मे कोई उसके पास नही था।उसकी मौत अस्पताल में लावारिस की तरह हुई थी।जिसके लिए कोई और नही वह स्वंय ही जिम्मेदार थी।माया का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था।माया के पिता रामलाल टीचर थे।माँ कलावंती ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी।परंतु समझदार औरत थी।वह शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह समझती थी।वह जानती थी