नीमा के मुंह से सच्चाई सुनकर यासमीन फूट-फूट कर रोने लगी । कुछ देर तक ऐसे ही रोती रही और नीमा ने चुप नही कराया । वह उसे जी भरकर रोने देना चाहती थी। नसीम- बेगम जरा देखो बच्ची बच्ची कब से रो रही है चुप कराओ!नीमा - अरे देख रही हूँ , मुझे भी पता है वो रो रही है तो आप भी तो गुमसुम बैठे है एक जगह ।अब मर्द जात हो रोकर दिखाओगे तो मर्दानगी कम ना हो जाएगी।नसीम- नहीं बेगम यह तो ख़ुदा की दी हुई सौगात है आँसू ! हाँ कुछ हद तक आप ठीक