मूलपूंजी - भाग दो

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...“टिकट दिखाइए? रो क्यूं रहे हैं? कोई परेशानी है तो मुझे बताएं?” – टीटीई ने सहानुभूति से कहा। पर जीवन के पचास बसंत देख चुके उन दम्पत्ति यात्री के आंसू न थमे। पहले तो लक्ष्मण को लगा कि बिना टिकट यात्रा करने और पकडे जाने की वजह से वे दोनों रो पडे। लेकिन जब उन्होने अपना टिकट निकालकर आगे बढाया तो रोने की असली वजह पल्ले नहीं पडी। लक्ष्मण ने भी फिर उन्हे ज्यादा कुरेदना ठीक नहीं समझा और उन्हे उनकी हाल पर छोड दूसरी तरफ मुड गया। उधर डिब्बे के दूसरे छोर पर यात्रा कर रहे वृद्ध प्रकाश लाल