पुकार

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पुकार - फाल्गुनी दोशी - 9 /04 /2022 धरती आज बहुत बेचैन थी | उसे तरह तरह की धीमी धीमी आवाज़े कानो में पड़ रही थी | उसने पुरे घर में घूम कर सब जगह देख लिया , कुछ समज नहीं आ रहा था | आवाज के बारे में आकाश, पापा और मां को भी अनेकोबार पूछ चुकी थी | यहाँ तक की रीना बाई और पड़ोसियों ने भी कोई पुष्टि नहीं की थी | सबने उसे अपन मन का वह वहम बताया | उसे इतना ही समज में आया की आवाजें रसोई और स्टोर रूम से ज्यादा आ रही