जीवन का गणित - भाग-2

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भाग - 2"सारा प्यार यहीं लुटा देंगी क्या?" नीतू की शरारत भरी आवाज़ कानों में पड़ी तो अवंतिका का ध्यान गया… उसकी आंखों से से आंसुओं की धारा बह रही थी।एक सजग अधिकारी होने के साथ ही बेहद संवेदन शील मां भी थी वह।वैभव ने मां को एक हाथ से कंधे से पकड़ा और दूसरे हाथ में उसकी शॉल और बैग थामा और दोनों कमरे में भीतर आ गए।अवंतिका ने आज घर आकर हमेशा की तरह कपड़े नहीं बदले थे। बिट्टू के साथ आकर सोफे पर बैठ सेंटर टेबल पर पैर टिका लिए।बिट्टू मां की बगल में ही बैठ गया।