"तुम्हारा कार्ड।"पोस्टमेन की आवाज सुनकर मनीष बाहर गया था।पोस्टमेन ने उसे लिफाफा पकड़ाया था।मनीष ने खोलकर देखा।शादी का कार्ड था।वह श्रेया के कमरे में कार्ड देने गया।श्रेया को कार्ड देते हुए बोला,"तुम्हारा नाम होना चाहिये था लेकिन मनीषा का नाम है"मनीष दिल्ली का रहने वाला था।यही पैदा हुआ और पढ़ा था।और पढ़ाई पूरी करने के बाद पूना में उसे नौकरी मिल गयी।वह दो तीन महीने बाद छुट्टी लेकर माता पिता से मिलने आता रहता था।पिछली बार आया तब वह कनॉट प्लेस गया था।वहाँ उसकी नज़र बस में चढ़ती युवती पर पड़ी और वह पहली नज़र में ही भा गयी।और फिर