39--व्यापरवह एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर था।नियम के अनुसार वह प्राइवेट प्रेक्टिस नही कर सकता था।लेकिन उसने अपना निजी क्लिनिक खोल रखा था।वह रोज अस्पताल एक दो घण्टे लेट पहुंचता और व्यस्तता का ढोंग करके अपने चेम्बर में बैठा मोबाइल पर बाते करता रहता।मरीजो को दूसरे डॉक्टरों के पास टरकाना उसे खूब अच्छी तरह आता था।जिन थोड़े से मरीजो को वह देखता उन्हें बुरी तरह डांटता फटकारता।अगर कोई मरीज गलती से कह देता,"डॉक्टर साहिब अच्छी तरह जांच करके दवा लिख दे"तो वह बुरी तरह उखड़ जाता,"तेरे बाप का नौकर हूँ क्या?"शाम को अपने क्लिनिक में बैठने पर उसका व्यहार बिल्कुल