उजाले की ओर--संस्मरण

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उजाले की ओर ---संस्मरण ------------------------- नमस्कार स्नेही मित्रो कुछ बातें अचानक ऐसे याद आ जाती हैं कि हँसी रोकनी मुश्किल हो जाती है | वैसे कहा तो यह जाता है कि बेबात हँसने वाले मूर्ख होते हैं | यदि ऐसा है तो रोते हुए ,गमगीन चेहरों के लिए 'लाफ़िंग-क्लब'क्यों बनाए जाते हैं ? इसीलिए तो कि भई हँस लें और अपने चेहरों को लटकाकर बिना बात ही खुद को और अपने से जुड़े हुओं की नाक में दम न करते रहें | मित्रों ! क्या कभी महसूस किया है कि हमारा गुस्सा इतनी जल्दी सिर पर चढ़कर बोलने लगता है