एक रात ---जिसने मेरा जीवन बदल दिया

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मानव मन सदैव से ही सुख-दु:ख के झंझावातों से घिरा रहता है। अनेक प्रकार के संकल्प विकल्प उसे विचलित करते रहते हैं। विचारों की श्रंखला सदैव ही उसे जकड़े रहती है । अनेकों बार इस जकड़न से बाहर निकलने का प्रयत्न करने पर भी, मानव अपनी कमजोर मानसिकता के कारण पुनः उसी में फंस कर रह जाता है। अनेक सामाजिक मान्यताएं ,पारिवारिक- सम्मान, आर्थिक -सुरक्षा एवं धर्म -भीरुता ,स्वयं को इन बंधनों में जकड़े रहने हेतु बाध्य कर देती है । इन सब के प्रति पने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए ,एक संभ्रांत नारी अपने सम्मान, अपनी रुचियां ,अपनी भावनाओं