सूना आँगन - भाग 1

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आज वैजयंती की शादी की आठवीं सालगिरह थी। उन्नीस वर्ष की छोटी सी उम्र में ग्रेजुएशन पूरा होते ही उसका विवाह हो गया था। वह आगे पढ़ना चाहती थी, कुछ बनना चाहती थी लेकिन उसके पिता का तो केवल एक ही सपना था कि बिटिया के हाथ पीले कर दूँ। अच्छा सा लड़का और अच्छा परिवार उसे मिल जाए। उसका जीवन सुखी हो जाए बस उसके बाद फिर वह बेफिक्र हो जायें। अपने पापा के इस सपने को पूरा करने के लिए उसने अपने सपनों की आहुति दे दी। लग्न मंडप में बैठकर जहाँ माता-पिता ने रिश्ता जोड़ा, उसने स्वीकार