हिंदी फ़िल्मों की शायद सबसे बड़ी विशेषता जो उसे अन्य देशों के फ़िल्म उद्योगों से अलग करती है वो उसका गीत- संगीत ही है। फ़िल्म में कथानक होता है, एक से बढ़कर एक खूबसूरत लोकेशंस होती हैं जिनकी नयनाभिराम फोटोग्राफी होती है, किंतु फिल्मी दृश्यों को देर तक याद उनके गानों के सहारे ही किया जाता है। रोज़ फिल्मों का साउंडट्रैक कोई नहीं सुनता पर उनके गाने घर - घर में सुने जाते हैं। गीतों की ये मनभावन पुरकशिश अदायगी हमें उन चेहरों के ज़रिए याद रहती है जो पर्दे पर उन्हें अदा करते हैं। न याद रहता है गीतकार