दानी की कहानी - ---------------- दानी इस बार बहुत दिनों बाद अपने नाती से मिल सकीं थीं | अधिकतर वे यहीं रहतीं थी लेकिन बीच में उनका मन हुआ कि वे कुछ दिन हरिद्वार रहकर आएँ | उन्होंने हरिद्वार के कनखल स्थान में गंगा के किनारे बने हुए आर्य समाज के आश्रम में एक दो कमरों की कुटिया बनवा ली थी | उनका मन होता तो वे परिवार में आ जातीं ।मन होता तब अपनी कुटिया में रहने चली जातीं | सभी बच्चे उनके साथ खेलना ,उनकी बातें सुनना बहुत मिस करते | दानी को भी परिवार में रहना अच्छा