(57)सिवन अपना घर छोड़ने के बाद वापस कोटागिरी गया। वह वहाँ रहकर ज़ेबूल की आराधना करने लगा। वहीं उसकी मुलाकात शुबेंदु से हुई। शुबेंदु वहीं एक आश्रम में रह रहा था। उसके गुरु का निधन हो गया था और वह उनके आश्रम की व्यवस्था देख रहा था। लेकिन वह शैतान का पुजारी था। वह अक्सर समुदाय द्वारा की गई ज़ेबूल की आराधना में शामिल होता था। सिवन और उसके बीच अच्छी दोस्ती हो गई। समुदाय के एक वरिष्ठ सदस्य से सिवन को ग्यारह अमावस के अनुष्ठान के बारे में पता चला। यह एक कठिन अनुष्ठान था। इसमें आरंभ की सात