14 छ्ठा व सातवां दिन लद्दाख की कईं जगह घूमने के बाद हम बहुत थक गए थे। कल मुझे अकेले ही पागोंग झील देखने जाना है। रात को वहीं टेंट में रुकने का इंतजाम मैंने करवा लिया था। अगले दिन में नुब्रा वेली को देखती हुई वापस आऊँगी। पाँच घण्टे के रास्ते को तय करके हम पागोंग झील तक पहुँचे। दूर पर्वतों के बीच में से जब उस झील की एक झलक दिख रही थी तो वो मुझ पर कैसा जादू कर रही थी। कैसे बताऊँ? पर्वतों ने अपनी हथेलियों दोनों हाथ से किसी प्यारे बच्चे की तरह उस झील