मेरी बात… यात्रा मेरे जीवन में एक नया उत्साह, रंग भर देती है। मैंने देश-विदेश की कईं यात्राएँ की हैं। कुछ परिवार के साथ, कुछ बड़े समूह में। मैं जब भी किसी यात्रा से लौट रही होती, तो मेरा मन दुःखी हो जाता था। वहाँ से वापस आने का मन ही नहीं होता था। मेरा मन, उस जगह से कभी नहीं भर पाता था। मैं उस जगह को, उस हरियाली को, प्रकृति को या महलों को कम जी पायी। कुछ छूट गया, कुछ अधूरा रह गया। इस अहसास की साथ मैंने अपने जीवन में कईं सालों तक यात्राएँ की। जब