संसार परिवर्तनशील है, जो वस्तु आज है, कल वह उस अवस्था में नहीं रह सकती। समय बदलता है व समय के साथ साथ मनुष्य की बुद्धि, विचार और उसके कार्यकलाप भी बदल जाते हैं। भारत में एक समय ऐसा भी आया जब ऐश्वर्य, धनधान्य और अनंत महिमा संपन्न भारतवर्ष का भाग्काश विदेशी आक्रांताओं से आच्छादित हो उठा। देश का सौभाग्य -सूर्य प्रभावहीन सा दृष्टिगोचर होने लगा। हम आश्रय हीन, निरालम्ब और असहाय बनकर मूक पशु की भांति, अत्याचार और अन्याय सहन करते रहे। समय ने पलटा खाया ।भारतीयों में चेतना और स्फूर्ति फैली और जनजीवन में जागरण का उद्घोष हुआ।