अध्याय 7 दस लाख रुपए आधे घंटे में - दस अनाथाश्रमों में देकर रंजीता और सुंदरेसन घर लौटे। दामू परेशान होकर बरामदे में चक्कर काट रहा था। दीदी और जीजाजी को आते देख - चलना बंद करके पूछा। "सब जगह पहुंचा के आ गए ?" "हुंम..." "आप लोगों जैसे डरपोक मैंने देखा ही नहीं।" "अबे.... दामू समस्या को समझे बिना गुस्सा मत कर....! इस दस लाख को सुरभि दस ही महीने में कमा लेगी.....! इस समय हमारे लिए पैसा बड़ी बात नहीं है। रिकॉर्डिंग थिएटर से फोन आया क्या.....?" "नहीं आया...." "वह किडनैपर ने फोन किया क्या ?" "नहीं...." इन