कुछ देर बाद जब सारे परिंदे तितर- बितर हो गए तो मायूस मोर भी मुंह लटका कर अपने घर चला आया। मांद महल का घेराव करके अपनी बात मनवाने का उसका मनसूबा बिल्कुल फेल हो गया था - फ्लॉप!मोर ने आज खाना भी नहीं खाया। क्योंकि वह पक्षी समुदाय का राजा था इसलिए वह हर हालत में ये जानना चाहता था कि उसकी पराजय का कारण क्या रहा। उसे अपना भविष्य खतरे में नज़र आने लगा।उसके लिए ताज़ा मकड़ी का सूप लेकर जब मोरनी आई तो उसे हताश देख कर उसके पास ही बैठ गई। मोरनी बोली - चिंता मत