नौ भालू थे।लाइन से एक के पीछे एक ट्रैक्टर लिए चले जा रहे थे। जो भी देखता, सोचता - ज़रूर कुछ बड़ा होने वाला है जंगल में। बात थी भी सच। भालुओं की इस टीम ने तत्काल सड़क किनारे के एक ऊबड़ खाबड़ से मैदान को समतल करना शुरू कर दिया। उस पर न जाने कब से बंजर ज़मीन पर पनपने वाले झाड़ और खर पतवार इकट्ठे हो गए थे।अब इतना बड़ा काम शुरू हो जाए और सबके दिमाग में खलबली न मचे, ऐसा कैसे हो सकता था। पिल्ले, बिल्लियां, तीतर, मोर, कछुआ, सारस, नेवला... सब एक एक करके तमाशा