अंतिम सफर - 6

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भाग -6 मुझे समझ नहीं आ रहा था यह मेरे साथ क्या हो रहा है, नाश्ता भी मैंने जैसे-तैसे किया ,इच्छा ही नहीं हो रही थी, और फिर वापस अपने कमरे में आकर मैं कुर्सी पर बैठ गया था। खिड़की से बाहर दूर उस पहाड़ी को देखने लगा था ,और जाने मेरे मन में कैसे-कैसे ख्याल आने लगे थे,,,"" तो क्या रात को जब मेरी नींद खुली उसके बाद से ही मुझे हैरान करने वाले दृश्य नजर आने लगे थे, बाहर तो धूप खिली हुई हैं, बारिश का कोई नामोनिशान नहीं, तो फिर मैं कौन सी दुनिया में खड़ा था