लावण्या - भाग 16

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दोनों एक दूसरे के हाथों में हाथ डाल कर बातें कर रहे थे सालों की कमी एक दिन में तो पूरी नहीं होती पर फिर भी वह हर एक पल को हर एक लम्हे को अभी जी रहे थे।तभी लावण्या के दिमाग मैं कुछ आया उसने लक्ष की और देखा और कहा लक्ष एक काम करते हैं,,,,,, वैसे भी मैं घर पर पूरा दिन बैठकर बोर हो जाती हुं।वैसे भी कोई काम है नहीं तो क्यु ना मैं तुम्हारी सेक्रेटरी बन जाऊ। इसी बहाने से मैं हर रोज तुम्हें देखभी पाऊंगी और पूरा दिन तुम्हारे साथ भी रहूंगी ,,,,,,!लक्ष ने