वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 9

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उधर बरखा इशिता के पास पहुंचती है...... इशिता बहुत गौर से कुछ फोटोग्राफस को देख रही थी तभी बरखा उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखती है जिससे इशिता तुरंत आंसू पोछकर पीछे घुमती है....इशिता : बरखा.....बरखा : वीरा.... चाची तुम्हें चोट नहीं पहुंचाना चाहती थी ... उन्होंने बस ऐसे ही पुछ लिया....इशिता : कोई बात नहीं बरखा....ये तो किस्मत है....आज मैं किसी को नहीं साथ बांध पाई....बस अकेले ही रह गई....बरखा : वीरा ..... मुझे नहीं पता कि तुम्हारे साथ क्या हुआ है न ही मैं पुछना चाहती हूं ...बस अब ये समझ लो तुम अकेली नहीं हो