ये चाय भी बिल्कुल तुम्हारे जैसी हो गई है,जब तक लबों को ना छू ले ज़िन्दगी बिस्तर पर ही पड़ी रहती है।अब वो मुझसे बिछड़ जाने के बाद मोहब्बत का हिंसाब मांगते हैं,मना कर दिया, अगर देदेते तो दोबारा मोहब्ब्त हो जाती उन्हें हमसे।अभी हम उस मोहब्ब्त के हिसाब में उलझे हुए हैं तो जिंदा है,उन्हें दे कर हम अपनी रात दिन की कमाई क्या जिंदा रहते नहीं, मर जाते।।ये तो उनकी आंखों की चमक है जो हमे रात दिन दिखाई देता है,वरना हमने तो कबकी मूंद ली थी अपनी आंखे।हमें मोहब्बत का नशा था, अब चाय से है।हमें उनका