अंतिम सफर - 2

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कहानी का भाग 2 मैं अपने दिमाग में एक बेहद गहरी और डरावनी तस्वीर को लेकर घर आ पहुंचा था । और घर के आंगन पर खड़ा होकर उसे पहाड़ की तरफ देखने लगा था ।जहां कुछ देर पहले में चढ़ने की कोशिश कर रहा था ।अपने घर के दरवाजे से दूर वहां देखना सुकून भरा था। कुछ भी तो नहीं है वहां। फिर क्यों बेवजह में अपने दिमाग में इतनी परेशानी ले रहा हूं।। शायद ऊपर चढ़ते वक्त वाकई में मेरी तबीयत खराब हो गई हो ।और मुझे यह सब कुछ नजर का धोखा महसूस हो रहा हो। आज