रहनुमा

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रहनुमा आज ईद का दिन था। साहिल नमाज़ पढ़ने गए हुए थे। अंबर घर को सजाने में लगी थी। अंबर कॉलेज में पढ़ रही है। बेहद प्यारी और खूबसूरत अंबर को देखकर निगहत के मन में कई बार ख्याल आता कि अगर बचपन में अंबर ने उस दिन दादी के घर से निकल कर ऐसी हिम्मत न दिखाई होती तो उसके बुरे हालात कभी बदलने वाले नहीं थे। उसी की हिम्मत थी जिसने उनकी जिंदगी गुलज़ार कर दी थी। अपने अब्बा साहिल की परी बेटी अंबर न तो बीते दिन याद करती है न ही अपनी मां को करने देती