चूक (लघुकथा)

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पूरी धरती पर तहलका सा मचा हुआ था। एक विषाणु और इंसानों के बीच जंग छिड़ी हुई थी। एक ओर एक विषाणु के रूप में ख़तरनाक रक्तबीज था और दूसरी ओर मनुष्य जाति। विषाणु चप्पे- चप्पे पर फ़ैल कर हर इंसान को रोगी बनाना चाहते थे और इंसान तरह- तरह के सतर्कता उपाय अपना कर उनसे बचने की कोशिश में लगे थे। लोगों ने जहां घर से निकलना, एक दूसरे से नजदीक आकर बात करना छोड़ दिया था वहीं विषाणु अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए फैलने के नए- नए रास्ते खोज रहे थे। रोज़ मनुष्यों के बीच बैठकें होती