चौथा नक्षत्र - 8

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अध्याय 8 ( कनेर का पेड़ ) सुरभि की आवाज सुनकर चित्रा और मुग्धा नें सुरभी की ओर देखा और फिर वह दोनों एक दूसरे को देख कर हँस पड़ी । सुरभि की खीज बढ़ती जा रही थी । ‘छोड़ो इन दोनों को ...यह दोनों तो आते आते साल लगा देंगी ‘ उसने मन ही मन सोचा और तेजी से कैंटीन की ओर बढ़ गयी । “अरे सुरभि रुको यार ....हम दोनों आ रहे हैं ।” पीछे से चित्रा का तेज स्वर वह सुन रही थी लेकिन उसके पैर नही रुके । कुछ तो उन दोनों की कछुआ चल से