विद्या ददाति विनयम् अबकी बार बूढ़ा धोबी जब उनके कपड़े प्रेस करके लाया, तो उसके साथ एक किशोर लड़का भी था। बूढ़ा बोला-"अबसे आपके पास ये आया करेगा, ये आपके कपड़े भी ले आएगा, और आप इसे थोड़ी देर पढ़ा देंगे तो आपका अहसान होगा, आपकी फ़ीस तो मैं दूँगा ही।"उनकी फ़ीस सुन कर धोबी को एकबार तो लगा, जैसे गर्म प्रेस से हाथ छू गया हो, पर इसका तो वह अभ्यस्त था ही, बात तय हो गयी। कुछ दिन बाद बुज़ुर्ग और पारखी धोबी को महसूस हुआ कि उनके कपड़ों की क्रीज़ जितनी नुकीली बनती है, उतना उसके लड़के