सजा--अनोखी कथा (पार्ट 1)

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उसका अपराध क्षम्य नही था।उसने जघन्य अपराध किया था।कानून की नज़र में वह गुनहगार थी।उसका गुनाह उसे हत्यारिन सिद्ध करने के लिए काफी था।हत्यारिन को सजा मिलनी ही चाहिए।जरूर मिलनी चाहिए।और उसकी सजा सिर्फ एके ही थी।अदालत का निर्णय होता मौत।मौत से कम सजा उसे उसके किये अपराध के लिए मिल ही नही सकती थी।और सजा होने के बाद उसे एक दिन फांसी केबतखते पर खड़ा कर दिया जाता।और जल्लाद उसकी नरम नाजुक गर्दन में फंदा डाल देता।और हमेशा के लिए वह मौत की नींद सो जाती।पर नही।उसे यह सजा नही मिली थी।उसके पति राघव ने उसे पुलिस के हवाले