मैं भी फौजी (देश प्रेम की अनोखी दास्तां) - 4

  • 5.7k
  • 2.5k

उनकी ये योजना मुझे दिन रात बैचेन कर रही थी , आखिर मुझे भागने का मौका मिल ही गया ..उस दिन मैं यहां से भागने में कामयाब हो गया , जिस दिन उस कारखाने की मालगाड़ी आई थी …....अब मैं सीधे अपने घर न जाकर कैप्टन मान सिंह के पास पहुंचा , कैप्टन मान सिंह जोकि अब मेजर जनरल बन चुके थे मुझे देखकर बहुत खुश हुए...... पहले तो वो मुझे पहचान नहीं पाये लेकिन जब मैंने उन्हें बचपन का किस्सा सुनाया तब वो तुरंत बोले " तुम धरा के बेटे हो "....." हां "" अरे तुम कहां चले गए