मेरा अपराध बता दो

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जिस तरह पुरूष जितना भी पढ़-लिख जाए ,प्रगतिशील हो जाए ,उसमें एक सामंती पुरूष जिंदा रहता है वैसे ही मजबूत से मजबूत स्त्री के भीतर एक कमजोर स्त्री जिंदा रहती है |इस स्त्री को अपने घर ,पति और बच्चों की चाहत होती है |वह गृहस्थ बनने के मोह से कभी मुक्त नहीं हो पाती |इस बात का प्रमाण थी इला ,जिसने एक के बाद एक तीन शादियाँ की पर तीनों टूट गयी ,पर आज भी मैं उसकी आँखों में वही चाहत देखती हूँ |इस बार उससे मिलने पर मैंने कहा –‘अब बस भी करो ,तुम्हारे भाग्य में पति-सुख नहीं है|