अंतिम अध्याय बिछोह नरोत्तम गिरी से कैथरीन का, कैथरीन से नरोत्तम गिरी का। दोनों अपनी अपनी धुन में अकेले होते चले गए। घाटियाँ वीरान होती रहीं। फिर -फिर फूलों से भरती रहीं। मौसम बदलते रहे। काल का चक्र कहाँ ठहर पाता है। लंबे-लंबे 10 वर्ष गुजर गए। इन 10 वर्षों में नरोत्तम गिरी ने कठोर साधना की। हिमालय की चोटियों, घाटियों से लेकर अमरकंटक की चण्डिका गुफा जिसे साधक एक शक्तिपीठ के रूप में पूजते हैं में भी साधना और तप किया। दुर्गम चंडिका गुफा। साधारण मनुष्यों का तो वहाँ जाना लगभग नहीं के बराबर है। खड़ी चट्टानों के बीच