विभावरी जब तैयार होकर आई तो उसने लहंगे की जगह अब लाल साड़ी पहनी थी और वो हौले हौले चल रही थी,ताकि उसके सिर का पल्लू ना सरकें,फिर उसे औरतों ने कार में मधुसुदन के साथ बैठा दिया और कार चल पड़ी,जब कार मधुसुदन के घर के द्वार पर पहुँची तो मधुसुदन की माँ और बहनों ने उसे कार से उतार कर नेगचार की विधि पूर्ण की फिर भीतर जाकर मुँहदिखाई की रस्म के बाद पास-पड़ोस की औरतें चलीं गईं,तब मधुसुदन की माँ ने विभावरी से कहा.... बहु! रसोई छूने की रस्म भी निभा दो क्योकिं शाम तक तो