कुछ देर बाद अंकित के घर पहुँचकर उन लोगो से भी पूछताछ होती है। अंकित एक मध्यमवर्गीय परिवार का साधारण लड़का था। उसके पिताजी सरकारी मुलाज़िम थे।और डिपार्टमेंट की तरफ से ही मिले एक फ्लैट में रहते थे।अंकित के सभी घरवालों को अपने सामने बैठाकर इंस्पेक्टर विजय उनसे सवाल करना शिरू करते हैं। इंस्पेक्टर विजय की बात सुनकर सभी एक दूसरे का चेहरा देखने लगे जाते हैं। सभी के चेहरों पर एक डर साफ झलकने लगता है। इंस्पेक्टर विजय उनकी इस रहस्मयी चुप्पी को भाँपकर फिर कड़क स्वर में उनसे पूछते हैं। इस बार अंकित के पापा प्रेम नामदेव बोलना