आशिक़ी....।

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"मैं राजन के बिना जिंदा नहीं रह सकती हूँ,क्योंकि मैं उससे प्यार करती हूँ।और यह मेरी आखिरी फैसला है।"इतना कहने के साथ ही रजनी की आँखें नम हो गई।मगर उसके पिता सोहनलाल अपने जिद पर अड़े हुए थे।रजनी की तरफ क्रोध भरी आँख से देखते हुए बोलेे"तब तुम इतना जान लो की तुम्हारी शादी वही होगी जहा मैं चाहता हूँ।राजन जैसे भिखारी के घर तुम्हारी शादी करके मैं समाज में अपनी नाक कटवाना नहीं चाहता हूँ।"इतना कहने के साथ ही वह बाहर निकल पड़े।रजनी नम आँख से अपनी पिता की तरफ देखती रह गई।आज उसे यह महसूस हुआ की उसके