शिव मंदिर दोहपर का समय था सूर्य देवता अपना पूरा अस्तित्व बता रहे थे ! पुरे जगत को अपने किरणों से प्रकाशमान करने वाले और सभी जीवो और प्रकति को संतुलित रखने वाले सूर्य देव आज एसा लग रहे थे जैसे, क्रोधित होकर बरस रहे हो ! लगता है जैसे, हवा भी आज सूर्यदेव के क्रोध का शिकार हो गयी है, आसमान से जैसे अंगार बरस रहे है ! कुछ पक्षी अपने घोसलों में बैठे या तो अपने साथियों की प्रतीक्षा रहे थे या तपिश के कम होने का इंतेजार कर रहे थे और कुछ पक्षी पानी की तलाश