अर्ज किया है,निगाहे क्या खूब है,सुकु छाया हुआ है,हस्त की रेखा क्या कमाल है,कोमल से पंख है,खुबसूरती क्या लाजवाब है,दिल पे धार है..सुबह की हल्की सी किरने खिड़की के अंदर दस्तक ले रही थी और आरजू की आंखों के सामने उसे उठाने की कोशिश कर रही थी।बाहर से पंखी भी शोर कर रहे थे।प्यारी सी आवाज भी नींद में खोए हुए इंसान को शोर लगती है।आरजू शोर से पक गई तो करवट बदल कर फिरसे सो गई और किसी हसीन ख्वाब में खो गई।बिखरे बाल जो उसकी आंखो और होठों के पास आ रहे थे उसकी खूबसूरती को और बढ़ा