भवभूति का दार्शनिक दृष्टिकोण

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विश्व का प्रत्येक व्यक्ति मूलतः दार्शनिक होता है। विशेष रुप से कवि या नाटककार , ---- जो अपने जीवन दर्शन, विश्व दर्शन, ,आत्म- परमात्म दर्शन के अतिरिक्त साहित्य में अपने स्वतंत्र सृजन -धर्म से जुड़ा होने के कारण अपने वर्णों की विशेष छटा के साथ ,अपने दार्शनिक तथ्यों का प्रस्तुतीकरण करता है । भवभूति की रचनाओं में प्राप्त दार्शनिक सत्य एवं सिद्धांत, ,कवि के समकालीन समाज की आध्यात्मिक विचारधारा को प्रकट करते हैं। भवभूति ने सांख्य -योग, न्याय ,वेदांत -दर्शन, बौद्ध दर्शन ,आदि के तत्वों का विशेष रूप से उल्लेख किया है। इन सभी दर्शनों के तथ्यों का विश्लेषण करने