कुछ अनकहा सा- कुसुम पालीवाल

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जब भी कभी किसी लेखक या कवि को अपनी बात को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के सामने व्यक्त करना होता है तो वह अपनी जरूरत..काबिलियत एवं साहूलियात के हिसाब से गद्य या पद्य..किसी भी शैली का चुनाव करता है। अमूमन हर लेखक या कवि उसी..गद्य या पद्य शैली में लिखना पसंद करता है जिसमें वह स्वयं को सहज महसूस करता है। मगर कई बार समय के दबाव..विचार की ज़रूरत एवं दूसरों की देखादेखी भी हम एक से दूसरी शैली की तरफ़ स्थानांतरित होते रहते हैं। जैसे गद्य शैली में व्यंग्य कहानियाँ लिखते लिखते मैंने खुद भी कई बार कुछ कविता