मै तो ओढ चुनरिया - 39

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मैं तो ओढ चुनरिया 39 चाचाजी की सगाई ठीकठाक निपट गयी और हम सहारनपुर अपने घर लौट आये । अब शादी में दो महीने बाकी थे तो पिताजी जोरशोर से शादी की तैयारी में जुट गये । ये दो महीने तो नाचते गाते तैयारियाँ करते बीत गये । पिताजी इस शादी के लिए अतिरिक्त उत्साही थे । होते भी क्यों न आखिर इकलौते भाई की शादी की बात थी । माँ इन दिनों चिंता में डूबी नजर आती । पिताजी ने अपनी नौकरी छोङ दी थी । आजकल बाहर की बैठक में मरीज देखा करते । काम कोई