साहेब सायराना - 22

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दिलीप कुमार का बाद का जीवन भी बेहद अनुशासित और व्यवस्थित रहा। सायरा बानो उनकी दिनचर्या में समयपालन का पूरा ध्यान रखतीं। उनका कामकाज देखने वाले अन्य सहायक भी इस बात का ध्यान रखते कि साहब या मेम साहब को शिकायत का कोई मौका न मिले। एक दिन दिलीप कुमार अपने बंगले के बैठक कक्ष में बैठे थे। उनसे कुछ लोग मिलने के लिए आए हुए थे। लोग कहीं बाहर से आए थे और वार्ता भी कुछ औपचारिक थी अतः उनकी सहायिका नर्स को थोड़ा संकोच हुआ कि मीटिंग में बैठे साहब को दवा की गोली कैसे खिलाई जाए। कहीं