मोहल्ला-ए-गुफ़्तगू - 10

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10- मोहल्ला-ए-गुफ़्तगूऔर अविनाश मुस्कुराते हुए कहता है...आपने मुझे सही पहचाना नूर भाई मेरा यकीन मानिये मैं ही अविनाश हूं आपने मुझे सही पहचान रहें है इसमें छुपने जैसा अब मेरे पास कुछ भी नहीं है...मैं झूठ बोलता नहीं हूं अगर झूठ का सहारा मैंने लिया होता तो आज मैं भी इतना परेशान नहीं होता मैं सच पर रहा जिसका सिला मुझे मिला लेकिन इस बात का मुझे कोई मलाल नहीं है..लेकिन मैंने कभी भी झूठ फरेव का सहारा नहीं लिया है..अब मुझे विश्वास हो चुका था के निर्मल एक खुद्दार इंसान है..तभी किसी ने आ कर कहा था..हम से अच्छा