.....शाम होते ही रफ़ीक़ कार लेकर सुहाना के घर पहुंचता है और सभी को लेकर समारोह में आ जाता है। आज सुहाना अपने परंपरागत लिबास में इतनी फब रही थी कि रफ़ीक़ की आँखें उससे हटने का नाम ही न ले रही थीं। तभी रफ़ीक़ की कानों में धीरे से ख़ुशनूदा कुछ कहकर निकल जाती है जिसपर झेंपते हुए रफ़ीक़ अपनी नज़रें नीची कर लेता है। सुहाना को देखते ही चिंटू भागकर उससे लिपट जाता है। ख़ुशनूदा सभी मेहमानों से सुहाना का परिचय कराती है। पर, सुहाना की नजरें तो आज एक अंजान चेहरे पर टिकी थी, जो अभी-अभी रफीक़