हँसी की एक डोज़- इब्राहीम अल्वी

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कई बार कुछ कवि मित्र मुझसे अपनी कविताओं के संग्रह को पढ़ने का आग्रह करते हैं मगर मुझे लगता है कि मुझमें कविता के बिंबों..सही संदर्भों एवं मायनों को समझने की पूरी समझ नहीं है। इसलिए आमतौर पर मैं कविताओं को पढ़ने से बचने का थोड़ा सा प्रयास करता हूँ। हालांकि कई बार मैंने खुद भी कुछ कविताओं जैसा कुछ लिखने का प्रयास भी किया मगर जल्द ही समझ आ गया कि फिलहाल तो कविताएँ रचना या उन पर कुछ लिखना मेरे बस की बात नहीं। ऐसे में अगर कोई मित्र स्नेहवश अपना कविताओं का संकलन मुझे भेंट करता है